हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह सईदी ने सोमवार रात को प्रांतीय योजना एवं विकास परिषद की बैठक में अपने संबोधन के दौरान कहा, 12 दिवसीय युद्ध ने यह सच्चाई स्पष्ट कर दी कि भले ही लोगों के बीच अलग-अलग रुचियाँ और प्रवृत्तियाँ मौजूद हों, लेकिन एकता के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने इस्लाम में जिहाद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिहाद के विभिन्न रूप हैं, चाहे वह जान कुर्बान करना हो या धन देना। बहुत से लोग जो सीधे युद्ध में भाग नहीं ले सकते, लेकिन अपने धन के माध्यम से मातृभूमि की रक्षा में भूमिका निभाते हैं यह भी जिहाद का एक सुंदर उदाहरण है।
हज़रत मासूमा (स.ल.) के हरम के ट्रस्टी ने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर इस्लामी व्यवस्था के संदेश को पहुँचाना और शहीदों की स्मृति को जीवित रखना भी जिहाद का एक रूप है।
उन्होंने एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा, जब राष्ट्रपति ने एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के दौरान एक महिला से हाथ मिलाने से परहेज किया और उनकी बेटी ने सम्मानपूर्वक उस महिला से हाथ मिलाया, तो वास्तव में उस अवसर पर धार्मिक मूल्यों की रक्षा की गई।
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद जाफर काएमपनाह ने 31 सितंबर को क़ुम के दौरे के दौरान योजना एवं विकास परिषद की बैठक में भाग लेने के साथ-साथ कई सामाजिक और कल्याणकारी परियोजनाओं का उद्घाटन और निरीक्षण किया और मरजा-ए-तकलीद एवं हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम के प्रमुख विद्वानों से भी मुलाकात की।
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